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विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्री ने पूजा के दौरान पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने का आह्वान किया

ऑनलाइन डेस्क, 22 सितंबर, 2025: विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्री अनिमेष देबबर्मा ने आगामी दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा और काली पूजा के दौरान पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभिन्न नियमों का पालन करने का आह्वान किया है। उन्होंने आज सचिवालय के प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पूजा के दिनों, यानी दुर्गा पूजा (29 सितंबर, 2025 से 2 अक्टूबर, 2025), लक्ष्मी पूजा (6 अक्टूबर, 2025) और काली पूजा (20 अक्टूबर, 2025) के दौरान मध्यरात्रि 12 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक माइक्रोफोन, संगीत वाद्ययंत्र आदि का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

अस्पतालों, शैक्षणिक केंद्रों और अदालतों के 100 मीटर के दायरे में माइक्रोफोन बजाना या पटाखे जलाना प्रतिबंधित है। 90 डेसिबल से अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों के भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग द्वारा 30-10-2018 को जारी तथा पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त आतिशबाजी के निर्माण, बिक्री एवं दहन संबंधी नियमों में उल्लिखित आतिशबाजी ही रात्रि 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक जलाई जा सकेगी।

पूजा के दौरान एवं पूजा के बाद विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दौरान माइक्रोफोन बजाने के लिए संबंधित अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी। मूर्तियों को बनाने में प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे रसायनों तथा भारी धातुओं (पारा, कैडमियम, आर्सेनिक, सीसा एवं क्रोमियम) युक्त सिंथेटिक रंगों का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। विघटनीय प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जा सकेगा। मूर्तियों की ऊंचाई 24 फीट से अधिक नहीं हो सकती तथा पूजा पंडाल की अधिकतम ऊंचाई 40 फीट से अधिक नहीं हो सकती। मूर्तियों का विसर्जन जिला प्रशासन, नगर निगम, नगर परिषद एवं नगर पंचायत के नियमों के अनुसार निर्दिष्ट दिन एवं निर्दिष्ट स्थान पर ही किया जाना चाहिए तथा विसर्जन के नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

मूर्ति विसर्जन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों में माइक्रोफोन का इस्तेमाल करने के लिए संबंधित अधिकारियों से पूर्व अनुमति लेनी होगी और ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर रखना होगा। त्रिपुरा सरकार की एक अधिसूचना के अनुसार, सभी प्रकार की ध्वनि प्रणालियाँ। सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों में ध्वनि सीमक का उपयोग अनिवार्य है। पूजा मंडप और मूर्तियाँ बनाने, प्रसाद वितरण और अन्य पूजा संबंधी गतिविधियों में प्रतिबंधित एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक सामग्री या थर्मोप्लास्टिक से बनी सामग्री का उपयोग नहीं किया जा सकेगा।

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण मंत्री ने सभी से पर्यावरण के अनुकूल सामग्री का ही उपयोग करने की अपील की और सभी की जागरूकता और सहयोग मांगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य मूर्ति, पश्चिम त्रिपुरा जिले के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. के. शशिकुमार, डॉ. विशाल कुमार और जिला पुलिस अधिकारी नमित पाठक भी उपस्थित थे।

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