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त्रिपुरा राज्य रोजगार गारंटी परिषद की पहली बैठक, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए स्थायी संपत्ति बनाने को दिया गया महत्व: मुख्यमंत्री

ऑनलाइन डेस्क, 16 जून, 2025: राज्य सरकार का मुख्य लक्ष्य राज्य के सीमांत क्षेत्रों में रहने वालों के विकास को गति देना है। विकास परियोजनाओं का लाभ राज्य के सीमांत क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचाने के लिए विशिष्ट योजनाओं पर काम किया जाना चाहिए। सरकार सीमांत क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, सड़क संपर्क सहित लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज सचिवालय के बैठक कक्ष संख्या 2 में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए त्रिपुरा राज्य रोजगार गारंटी परिषद की पहली बैठक में यह बात कही।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास के लिए मनरेगा बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि राज्य का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण है। राज्य सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए स्थायी संपत्ति बनाने पर जोर देकर काम कर रही है। इसलिए यह जरूरी है कि जिलाधिकारियों और समाहर्ताओं, सामुदायिक विकास अधिकारियों समेत विभिन्न स्तरों के अधिकारी संबंधित क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के साथ लगातार समन्वय बनाकर काम करें ताकि विकास कार्यक्रमों को लागू किया जा सके। मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को विकास कार्यों की प्रगति से अवगत कराने और कार्यों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित निगरानी पर भी जोर दिया।

उन्होंने कहा कि विकास कार्यक्रम के क्रियान्वयन में अगर कोई समस्या आती है तो उसे जनप्रतिनिधियों के संज्ञान में लाया जाना चाहिए और उसके त्वरित समाधान की पहल की जानी चाहिए। चर्चा में कृषि मंत्री रतनलाल नाथ, वित्त मंत्री प्रणजीत सिंघराई, सहकारिता मंत्री शुक्लाचरण नोतिया, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अनिमेष देबबर्मा, विधायक किशोर बर्मन, विधायक अंतरा सरकार देब, विधायक स्वप्ना मजूमदार, विधायक शंभू लाल चकमा, विधायक मैलायु माग, एमडीसी संजीव रियांग, मुख्य सचिव जेके सिन्हा, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अभिषेक सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव डॉ. पीके चक्रवर्ती, विभिन्न विभागों के सचिव, टीटीएएडीसी के सीईओ और राज्य के 8 जिलों के जिला मजिस्ट्रेट उपस्थित थे और उन्होंने इसमें भाग लिया।

बैठक में ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव कुंतल दास ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में आरईजीए कार्यों की सफलता तथा भविष्य की कार्ययोजना को सचित्र रिपोर्ट के माध्यम से विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्य में 8 जिलों, 58 प्रखंडों, 1,193 ग्राम पंचायतों एवं ग्राम समितियों में एमजीएन आरईजीए के तहत कुल 6,94,559 जॉब कार्डधारी हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में 3 करोड़ 53 लाख 37 हजार श्रम दिवस सृजित किए गए हैं। अपर सचिव कुंतल दास ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में एमजीएन आरईजीए के तहत लगभग 5 हजार 210 वनरोपण कार्यक्रम पूरे किए गए हैं।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आरईजीए के स्वीकृत कार्यों की सूची में राज्य में अनानास की खेती को शामिल करने के लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा आवश्यक पहल की गई है। उन्होंने पिछले वित्तीय वर्ष में एमजीएन आरईजीए के माध्यम से जिलों में कार्यान्वित कार्यों तथा वर्तमान में चल रहे कार्यों की भी विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। बैठक में अपर सचिव ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए स्वीकृत श्रम बजट और प्रस्तावित कार्यों की जानकारी भी दी। बैठक में एसएनए स्पार्क के शुभारंभ समेत भूमि विकास के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का सही तरीके से पालन करने का मुद्दा छाया रहा। इसके अलावा राज्य में सोशल ऑडिट के महत्व पर भी चर्चा हुई।

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