
पशु कल्याण अधिनियम पर राज्यव्यापी चर्चा, राज्य के सभी जिलों में डेयरी परियोजनाएं स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया: पशुपालन मंत्री
ऑनलाइन डेस्क, 6 मार्च 2025: राज्य को दूध, मांस और अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। राज्य के सभी जिलों में डेयरियां स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव पहले ही भेजे जा चुके हैं। तस्करी के दौरान बचाए गए मवेशियों को सुरक्षित स्थान पर रखने के लिए प्रदेश के आठ जिलों में आठ गौशालाएं स्थापित की जाएंगी। पशु संसाधन विकास मंत्री सुधांशु दास ने आज प्रज्ञा भवन के हॉल नंबर एक में पशु कल्याण नियम, कानून एवं विनियमन पर एक दिवसीय राज्यव्यापी परिचर्चा एवं जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।
त्रिपुरा पशु चिकित्सा डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस चर्चा समूह का आयोजन किया। कार्यक्रम में गोमती एनिमल वेलफेयर सोसाइटी और विभाग की कैलाशहर शाखा के उप निदेशक तपन रॉय को कोविड-19 महामारी के दौरान पशु कल्याण में उनके असाधारण कार्य के लिए सम्मानित किया गया। राहुल धर पुरकायस्थ ने तपन रॉय की ओर से पुरस्कार स्वीकार किया। इसके अलावा, दक्षिणी जिले के उप निदेशक डॉ. को पिछले वर्ष की बाढ़ के दौरान पशु कल्याण में उनके अभूतपूर्व कार्य के लिए सम्मानित किया गया। सुबीर दास और उनके सहयोगियों, गोमती जिले के उपायुक्त डॉ. बिल देबबर्मा और उनके सहयोगियों तथा सिपाहीजाला जिले के उपायुक्त डॉ. अमल मजूमदार और उनके सहयोगियों का स्वागत किया गया।
पशुधन विकास मंत्री और अन्य अतिथियों ने उन्हें प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए। कार्यक्रम में बोलते हुए पशु संसाधन विकास मंत्री सुधांशु दास ने कहा, “हमें पशुओं की सुरक्षा के प्रति अधिक ईमानदार होने तथा उनके प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि विभाग पूरे वर्ष मवेशियों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराता है। पशु संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि पशुओं के प्रति अन्याय, क्रूरता एवं निर्दयता को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने 1964 में पशु कल्याण बोर्ड का गठन किया था। हर राज्य में यह बोर्ड है। यह संगठन हमारे राज्य में ठीक से काम कर रहा है।
अपने विशिष्ट अतिथि भाषण में अगरतला नगर निगम के महापौर एवं विधायक दीपक मजूमदार ने विभाग की पहल की सराहना की और कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पशुओं का संरक्षण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पशुओं के कल्याण के लिए कानून बनाकर सब कुछ करना संभव नहीं है। इसलिए हमें जानवरों के प्रति प्रेम, देखभाल और संवेदनशीलता की आवश्यकता है। पशु संसाधन विकास विभाग की सचिव दीपा डे नायर ने पशु संरक्षण से जुड़े कानूनी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की तथा सभी से पशु संरक्षण के लिए आगे आने का आग्रह किया।
स्वागत भाषण पशु संसाधन विकास विभाग के निदेशक डॉ. एन.के. चकमा. गोमती जिला परिषद के सहायक अध्यक्ष सुजान सेन और त्रिपुरा पशु चिकित्सा चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ. प्रियब्रत नाथ, महासचिव डॉ. सुजीत साहा एवं अन्य। कार्यक्रम में पशु संसाधन विकास विभाग के विकास कार्यों का वीडियो शो दिखाया गया। उद्घाटन समारोह के बाद तकनीकी सत्र में पश्चिम बंगाल पशु चिकित्सा एवं पशुपालन विस्तार शिक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. गिरीश चंद्र अग्रवाल ने पशु कल्याण कानूनों पर चर्चा की। अरुणाशीष गोस्वामी, पश्चिम जिले के जिला वन अधिकारी जयकृष्णन वीके और पशु संसाधन विकास विभाग के अधिकारी (विधि) डॉ. बिस्वजीत दास।