केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने भारतीय ग्रिड उपयोगकर्ताओं के लिए अखिल भारतीय आधार पर समान सुरक्षा प्रोटोकॉल को लागू करने की मंजूरी प्रदान की
ऑनलाइन डेस्क, 16 नवंबर 2024: राष्ट्रीय विद्युत समिति (एनपीसी) ने आरपीसी के परामर्श से भारतीय ग्रिड उपयोगकर्ताओं के लिए अखिल भारतीय आधार पर कार्यान्वयन के लिए समान सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार किया। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के अध्यक्ष श्री घनश्याम प्रसाद की अध्यक्षता में दिनांक 14.11.2024 को नागपुर, महाराष्ट्र में आयोजित 15वीं राष्ट्रीय विद्युत समिति की बैठक में इसे मंजूरी प्रदान की गई।
इस बैठक में विद्युत क्षेत्र के उच्च स्तरीय गणमान्य शामिल हुए, जिनमें श्री हेमंत जैन, सदस्य (जीओ एंड डी), सीईए, श्री एस आर नरसिम्हन, ग्रिड-इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, क्षेत्रीय विद्युत समितियों/आरपीसी की तकनीकी समन्वय समितियों के अध्यक्ष, आरपीसी और एनपीसी के सदस्य सचिव, और सीटीयू और सीईए के प्रतिनिधि प्रमुख रूप से शामिल हैं।
आईईजीसी, 2023 के अनुसार, उपकरण/प्रणाली को असामान्य परिचालन स्थितियों से बचाने, दोषपूर्ण उपकरण को पृथक करने और सुरक्षा प्रणाली के अनपेक्षित परिचालन से बचने हेतु सुरक्षा प्रणाली का उचित समन्वय करने के लिए ग्रिड उपयोगकर्ताओं के लिए एक समान सुरक्षा प्रोटोकॉल होना चाहिए।
समान सुरक्षा प्रोटोकॉल का उद्देश्य ग्रिड स्थिरता, विश्वसनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना है तथा 2030 तक राष्ट्रीय ग्रिड में 450 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण और 2047 तक 2100 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा के महत्वाकांक्षी लक्ष्य का समर्थन करना है।
समान सुरक्षा प्रोटोकॉल की मुख्य विशेषताएं:
- प्रासंगिकता: समान सुरक्षा प्रोटोकॉल सभी क्षेत्रीय संस्थाओं, राज्य/केंद्रीय/निजी उत्पादन कंपनियों/उत्पादन स्टेशनों, एसएलडीसी, आरएलडीसी, सीटीयू, एसटीयू, ट्रांसमिशन लाइसेंसधारियों और आरपीसी पर लागू होगा, जो 220 केवी (एनईआर के लिए 132 केवी) और उससे ऊपर से जुड़े हुए हैं।
- संरक्षण प्रणाली का सामान्य दर्शन: संरक्षण प्रणाली का सामान्य दर्शन उद्देश्य, डिजाइन मानदंड और अन्य विवरणों को कवर करता है।
- संरक्षण योजनाएं: यह प्रोटोकॉल थर्मल एवं हाइड्रो उत्पादन इकाईयों, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन (आरईजी), बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस), सबस्टेशनों, ट्रांसमिशन लाइनों और एचवीडीसी टर्मिनलों के लिए सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- मॉनिटरिंग और ऑडिट: गड़बड़ी की मॉनिटरिंग, विश्लेषण और रिपोर्टिंग: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रिड कार्यक्रम विश्लेषण को सुविधाजनक बनाने के लिए पर्याप्त गड़बड़ी डेटा उपलब्ध है। विद्युत प्रणाली की गड़बड़ी का विश्लेषण एक महत्वपूर्ण कार्य है जो सुरक्षा प्रणाली के प्रदर्शन को मॉनिटर करता है, जो तंत्र के सही व्यवहार, सुरक्षित परिचालन सीमाओं को अपनाने, प्रारंभिक दोषों के अलगाव से संबंधित जानकारी प्रदान कर सकता है।
- संरक्षण ऑडिट: केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (ग्रिड मानक) विनियम, 2010, आईईजीसी ग्रिड कोड विनियम 2023 और सुरक्षा प्रणाली ऑडिट के लिए अनुमोदित एसओपी के अनुसार।
- प्रदर्शन की मॉनिटरिंग: उपयोगकर्ताओं/संस्थाओं द्वारा आरपीसी और आरएलडीसी को सुरक्षा प्रदर्शन सूचकांक की मासिक प्रस्तुति।
- अनुपालन मॉनिटरिंग: आरपीसी को गैर-अनुपालन की सूचना दी जाती है, और अनसुलझे उल्लंघनों को उपयुक्त निर्देशों के लिए आयोग के पास भेजा जाता है।
बैठक के दौरान, भारतीय विद्युत क्षेत्र के विभिन्न अन्य प्रमुख मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया गया और आगे की कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया, जैसे पैन इंडिया के लिए एएमआर प्रणाली के साथ पांच मिनट इंटरफेस ऊर्जा मीटर में परिवर्तन, ऊर्जा लेनदेन के लिए एकीकृत लेखांकन सॉफ्टवेयर, वीओआइपी कनेक्टिविटी के लिए एसओपी, एकीकृत रियल टाइम डायनेमिक स्टेट मेजरमेंट (यूआरटीडीएसएम) परियोजना चरण- II, आईएसटीएस संचार में एमपीएलएस प्रौद्योगिकी, स्काडा और रियल टाइम डेटा बेमेल का समाधान, सभी क्षेत्रीय यूएनएमएस को एकीकृत करते हुए मुख्य और बैकअप कॉन्फ़िगरेशन में अत्याधुनिक राष्ट्रीय एकीकृत नेटवर्क प्रबंधन प्रणाली (एन-यूएनएमएस) की स्थापना, सुरक्षा ऑडिट के लिए एसओपी, जीडी/जीआई/ट्रिपिंग, सबस्टेशनों का संचार ऑडिट, भारतीय विद्युत प्रणाली की संचार प्रणाली आउटेज योजना आदि।
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