
देश और समाज के कल्याण के लिए हमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के आधार पर आगे बढ़ना होगा
ऑनलाइन डेस्क, 25 सितंबर, 2025: पंडित दीनदयाल उपाध्याय हमेशा राष्ट्रवाद, भारतीय संस्कृति, संस्कार और परंपरा के बारे में सोचते थे। उन्होंने हमेशा कहा कि प्रकृति से सीख लेकर मानव समाज को आगे बढ़ाना चाहिए। जहाँ सभी एक दूसरे के पूरक होंगे। मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ) माणिक साहा ने आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में राज्यव्यापी कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। यह कार्यक्रम सूचना एवं संस्कृति विभाग की पहल पर मुक्तधारा सभागार में आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ) माणिक साहा ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक प्रखर व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने हमेशा देश और उसके लोगों के कल्याण के बारे में सोचा। वे एकात्म मानववाद के समर्थक थे। उन्होंने ‘एक भारती तारे’ की बात कही। वे देश सेवा में समर्पित आत्मा थे। आज की पीढ़ी को स्वामी विवेकानंद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल जैसे व्यक्तित्वों के बारे में अधिक जानना चाहिए। तभी देश और समाज के कल्याण के लिए सोच पैदा होगी। हालांकि पिछली सरकारों के दौरान उनके बारे में जानने की कोई पहल नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साम्यवाद और समाजवाद जैसी विचारधाराएं लोगों में विभाजन पैदा करती हैं। परिणामस्वरूप, देश का विकास संभव नहीं है। लोगों को मन की स्वतंत्रता नहीं है। परिणामस्वरूप, स्वस्थ जीवन जीना संभव नहीं है। इसलिए, देश और समाज के कल्याण के लिए हमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पंडित जी की विचारधारा के आधार पर देश के हाशिए के लोगों के विकास के लिए काम कर रहे हैं। राज्य सरकार भी उस दिशा में काम कर रही है।
राज्य सरकार हर घर में सुशासन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को विभिन्न सरकारी सुविधाएं प्रदान करने के लिए काम कर रही है। राज्य और केंद्र सरकार ने जनकल्याणकारी कार्यों के माध्यम से सभी का विश्वास अर्जित किया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि एक इंसान के रूप में, हमें दूसरों के बारे में भी सोचना चाहिए। इसके लिए ऋषियों के जीवन और दर्शन को जानना होगा। सभी को भारत की प्राचीन परंपराओं के बारे में जानना होगा। आगे बढ़ने का मुख्य आधार हमारे सनातन धर्म में छिपा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के आम लोगों और व्यापारियों को ध्यान में रखते हुए जीएसटी दर में संशोधन किया गया है। वर्तमान में, जीएसडीपी और प्रति व्यक्ति आय के मामले में त्रिपुरा पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में दूसरे स्थान पर है।
राज्य को अग्रणी राज्य के रूप में देखा जा रहा है। कार्यक्रम में चर्चा में सांसद राजीव भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार का मुख्य लक्ष्य अंत्योदय परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत करना है। हम में से प्रत्येक को स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी तकनीक से निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है। तभी देश आत्मनिर्भर बनेगा। आज के कार्यक्रम में जगिया सुधींदा दासगुप्ता को मरणोपरांत दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय एकता पुरस्कार प्रदान किया गया। उनकी बेटी स्वप्ना दासगुप्ता और बेटे शुवेंदु दासगुप्ता को मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ) माणिक साहा ने यह पुरस्कार प्रदान किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में एमबीबी विश्वविद्यालय की छात्रा सृष्टि दास ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।
सचिन देबबर्मन स्मृति संगीत महाविद्यालय ने दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। लोया की छात्रा स्नेहा साहा और बीबीएमसी की छात्रा रेशमी नामसुद्रा ने पुरस्कार जीते। मुख्यमंत्री ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। कार्यक्रम में दीनदयाल उपाध्याय पर एक वृत्तचित्र भी दिखाया गया। अन्य लोगों के अलावा, सूचना एवं संस्कृति विभाग के सचिव ए.पी.के. चक्रवर्ती और राज्य-आधारित सांस्कृतिक सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष सुब्रत चक्रवर्ती ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। सूचना एवं संस्कृति विभाग के निदेशक बिम्बिसार भट्टाचार्य भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।








