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पर्यावरण मंत्री ने मत्स्य पालकों को वुल्फिया ग्लोबासा के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया

ऑनलाइन डेस्क, 18 सितंबर, 2025: वुल्फिया ग्लोबासा प्राकृतिक तरीके से उत्पादित एक जैविक मछली आहार है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के शोधकर्ताओं ने इस मछली आहार पर गहन शोध किया है। इस शोध में सफलता मिलने के बाद, वे अब मत्स्य पालकों को इसे मछली आहार के रूप में उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। जो एक अत्यंत सराहनीय पहल है। आज प्रज्ञा भवन के हॉल संख्या 3 में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण विभाग और लेम्बुछरा मत्स्य महाविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ‘वैकल्पिक मत्स्य आहार के रूप में वुल्फिया ग्लोबासा’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला में विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण मंत्री अनिमेष देबबर्मा ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि यह मुद्दा केवल कार्यशालाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस संबंध में किसानों या मत्स्य पालकों को व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मत्स्य विभाग के कर्मचारियों को मछली पालन क्षेत्रों जैसे तालाबों और जल निकायों के आसपास के वातावरण को स्वस्थ और स्वच्छ रखने की भी सलाह दी। उन्होंने मत्स्य विभाग के कर्मचारियों को वुल्फिया पालन को और अधिक प्रोत्साहित करने की सलाह दी। किसान इस मछली के भोजन के उत्पादन से भी पैसा कमा सकते हैं। इसलिए, उन्हें इस मुद्दे पर भी जागरूक किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण मंत्री अनिमेष देबबर्मा ने कार्यशाला में उपस्थित मत्स्य किसानों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया और उन्हें स्वस्थ वातावरण में वैज्ञानिक तरीके से मछली उत्पादन करने की सलाह दी। कार्यक्रम में, मत्स्य महाविद्यालय, लेम्बुछरा के प्रोफेसर ए. बी. पटेल ने वुल्फिया ग्लोबोसा के उत्पादन पर चर्चा की। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक महेंद्र सिंह ने स्वागत भाषण दिया। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त निदेशक अंजन सेनगुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी दाशु चकमा ने मछली उत्पादन में वुल्फिया ग्लोबोसा की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

रामठाकुर महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. पापरी दास सेनगुप्ता ने मच्छरों के लार्वा को खाने वाली और मच्छरों के प्रसार को रोकने वाली मछली के पालन पर विस्तार से चर्चा की। लेम्बुछरा मत्स्य महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. भागवी प्रियदर्शिनी ने वुल्फिया से मत्स्य आहार उत्पादों के विकास विषय पर चर्चा की। बीर बिक्रम महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नंदिनी गुप्ता ने कार्यशाला में वर्मीटेक्नोलॉजी पर चर्चा की। कार्यशाला में पश्चिम त्रिपुरा जिले के विभिन्न मत्स्य पालकों, होली क्रॉस, मत्स्य, रामठाकुर, बी.बी.एम.सी. आदि महाविद्यालयों के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया।

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