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डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘स्टार्टअप से जुड़ी अर्थव्यवस्था’ का आह्वान किया, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय परिसर का शुभारंभ किया

ऑनलाइन डेस्क, 6 सितंबर, 2025: केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत का भविष्य का विकास उद्योग जगत से मज़बूत साझेदारी पर आधारित “स्टार्टअप से जुड़ी अर्थव्यवस्था” के निर्माण पर निर्भर करेगा।  चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कैंपस टैंक के शुभारंभ के अवसर पर श्री सिंह ने यह बात कही। उन्होंने इसे इस क्षेत्र में अपनी तरह का पहला प्रयास बताया जिसका उद्देश्य युवा उद्यमियों को उद्योग और निवेशकों से जोड़ना है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने नवाचार और उद्यमिता के लिए सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है, लेकिन स्टार्टअप्स को बनाए रखने के लिए उद्योग जगत के साथ शीघ्र और व्यापक जुड़ाव आवश्यक है। उन्होंने कहा, “यह मुख्य रूप से उद्योग से जुड़ाव के लिए था। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय कैंपस टैंक का शुभारंभ उद्योग जगत से जुड़ाव के माध्यम से स्टार्टअप से जुड़ी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा। हमने उद्योग को प्राथमिकता दी है। यह स्टार्टअप फंडिंग है।”

प्रतीकात्मक समर्थन से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल देते हुए, मंत्री महोदय ने कहा: “हमें उद्योग जगत को आगे बनाए रखने की ज़रूरत है। इसलिए, हमने उद्योग-संबद्ध स्टार्टअप और स्टार्टअप-संबद्ध अर्थव्यवस्था पर बल दिया। स्टार्टअप-संबद्ध अर्थव्यवस्था भी अच्छी अभिव्यक्ति है।” उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विचार और शोध तो परिसरों से ही उभरते हैं, लेकिन उनकी दीर्घकालिक सफलता उद्योग के साथ सुगठित साझेदारी पर निर्भर करती है जो वित्तीय सहायता, बाज़ार में पहुँच और पैमाने प्रदान करती है।

मंत्री महोदय ने बताया कि भारत की स्टार्टअप यात्रा अब तक ऊर्जा और नवाचार से प्रेरित रही है, लेकिन अगले चरण में ऐसे स्थायी उद्यमों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो प्रतिस्पर्धी बाज़ारों में टिक सकें। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी, कृषि और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों के उदाहरण दिए, जहाँ सरकारी समर्थन और उद्योग जगत से सहयोग ने पहले ही उल्लेखनीय परिणाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग की भागीदारी न केवल स्टार्टअप को मज़बूत बनाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि निवेश उत्पादक हों और आजीविका उत्पन्न करें।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्रीय संदर्भ की ओर भी ध्यान आकर्षित किया और कहा कि देश के अन्य हिस्सों की तुलना में उत्तर भारत में स्टार्टअप आंदोलन की शुरुआत धीमी रही है।  उन्होंने कहा कि कैंपस टैंक जैसी पहल विश्वविद्यालयों को उद्यमिता के लिए लॉन्चपैड के रूप में स्थापित करके इस अंतर को पाटने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, “अब प्राथमिकता विचारों और प्रोटोटाइप से हटकर वास्तविक दुनिया के उद्यमों की ओर बढ़ने की है, और यह तभी संभव होगा जब उद्योग को केंद्र में रखा जाएगा।”

मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब महानगरों या तकनीकी केंद्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहर और विविध क्षेत्र नए उद्यमों में तेज़ी से योगदान दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐसे आकांक्षी भारत का संकेत है जो विकास के लिए नवाचार का उपयोग करने के लिए तैयार है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नवाचार के क्षेत्र में भारत की बढ़ती वैश्विक स्थिति की ओर भी ध्यान दिलाया और बताया कि एक दशक से भी कम समय में देश वैश्विक नवाचार सूचकांक में 81वें स्थान से 39वें स्थान पर पहुँच गया है। उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि भारत के लगभग 60 प्रतिशत पंजीकृत स्टार्ट-अप महिलाओं के नेतृत्व में हैं, जो ऐसे बदलाव को दर्शाता है जहाँ महिलाएँ न केवल भागीदार हैं, बल्कि प्रमुख परियोजनाओं की अगुआ भी हैं। उदाहरण देते हुए, उन्होंने कहा कि महिला वैज्ञानिक आदित्य एल1 और चंद्रयान-3 जैसे राष्ट्रीय मिशनों का संचालन कर रही हैं, जो भारत के वैज्ञानिक और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के समावेशी चरित्र को रेखांकित करता है। मंत्री ने यह भी कहा कि भारत की प्रगति पेटेंट दाखिलों में भी दिखाई दे रही है, जहाँ हाल के अधिकांश पेटेंट भारतीय नवप्रवर्तकों द्वारा दाखिल किए जा रहे हैं, जो पहले के रुझानों को उलट रहा है।

कैंपस टैंक ने ऐसा मंच बनाने का प्रयास किया है जहाँ उद्योग, निवेशक और युवा संस्थापक विचारों को स्थायी व्यवसायों में बदलने के लिए सहयोग कर सकें।  डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस तरह के प्रयास सीधे तौर पर स्टार्टअप से जुड़ी अर्थव्यवस्था के निर्माण में योगदान देंगे। यह ऐसी अर्थव्यवस्था होगी जिसमें नवाचार, उद्यम और उद्योग मिलकर 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की ओर भारत की प्रगति को गति देंगे।

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