
विश्वकबीर की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह में मुख्यमंत्री: कविगुरु के साहित्य, देशभक्ति के विचारों को अगली पीढ़ी तक और अधिक उजागर किया जाना चाहिए
ऑनलाइन डेस्क, 8 अगस्त, 2025: रवींद्रनाथ टैगोर भारतीय संस्कृति और परंपरा के जीवंत सजीवों में से एक थे। रवींद्रनाथ के विचार हमारे समाज के हर पहलू में समाहित हैं। इसलिए, कवि के साहित्य, देशभक्ति के विचारों को अगली पीढ़ी तक और अधिक उजागर किया जाना चाहिए। तभी कवि को सच्चा सम्मान दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज मुक्तधारा सभागार में विश्वकबीर रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में यह बात कही।
सूचना एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे एक कलाकार, लेखक, कहानीकार और समाज सुधारक थे। विश्वकबीर के भौतिक निधन के बावजूद, उनकी रचनाएँ आज भी हमारे बीच एक ध्रुव तारे की तरह विद्यमान हैं। रवींद्रनाथ के विचार और भावना हमें किसी भी संकट में दिशा दिखाती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कवि को 1913 में नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात थी।
उन्होंने छात्रों में भारतीयता की भावना जगाने के लिए विश्वभारती जैसे शिक्षण संस्थान की स्थापना की। विश्वकवि की प्रतिभा बचपन से ही स्पष्ट थी। कवि ने कविता की 52 पुस्तकें, 13 उपन्यास, 15 कहानियाँ और 38 नाटक लिखे, जो आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं। 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन के विरुद्ध देशवासियों को एकजुट करने के लिए रक्षाबंधन उत्सव की शुरुआत की। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना एवं संस्कृति विभाग राज्य की पारंपरिक मिश्रित संस्कृति के संरक्षण के लिए अथक प्रयास कर रहा है। सांस्कृतिक कैलेंडर तैयार कर सूचना एवं संस्कृति विभाग वर्ष भर सांस्कृतिक विकास की दिशा में कार्य कर रहा है। इस वर्ष विभाग के सांस्कृतिक कैलेंडर में 19 और सांस्कृतिक गतिविधियाँ जोड़ी गई हैं। सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ विभाग पारंपरिक कठपुतली नृत्य, यात्रा, नाटक आदि के विकास पर भी काम कर रहा है।








