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मिजोरम और गोवा के बाद पूर्ण साक्षरता का दर्जा हासिल करने वाला त्रिपुरा देश का तीसरा राज्य बन गया है: मुख्यमंत्री

ऑनलाइन डेस्क, 23 जून, 2025: मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज त्रिपुरा को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया। उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के माध्यम से त्रिपुरा ने आज पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा हासिल किया। मुख्यमंत्री ने आज अगरतला के रवींद्र शताब्दी भवन में इस अवसर पर स्कूल शिक्षा विभाग के राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक रंगारंग समारोह में यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज राज्य के लिए ऐतिहासिक क्षण है।

मिजोरम और गोवा के बाद त्रिपुरा पूर्ण साक्षरता का दर्जा हासिल करने वाला देश का तीसरा राज्य बन गया है। इससे पहले केंद्र शासित प्रदेश के रूप में लद्दाख ने यह सफलता हासिल की थी। यह सफलता निस्संदेह राज्य के लिए बहुत गर्व की बात है और इसे मील का पत्थर माना जाएगा। मुख्यमंत्री ने राज्य में 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के निरक्षर नागरिकों को साक्षर बनाने के लिए उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में इस अभियान को सफल बनाने के लिए अथक परिश्रम करने वाले स्वयंसेवकों, शिक्षकों और छात्रों को धन्यवाद दिया।

सभी ने बिना किसी पारिश्रमिक या ब्याज के समाज के लिए निस्वार्थ भाव से काम करके इस महान बलिदान को सफल बनाया है। उनमें से प्रत्येक हमारा साक्षरता सैनिक है। उन्होंने इस संबंध में सहयोग के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान कोई साधारण परियोजना नहीं है, यह एक सामाजिक आंदोलन है।

1961 की जनगणना के अनुसार, त्रिपुरा में साक्षरता दर 20.24 प्रतिशत थी। 1991 में यह 60.44 प्रतिशत थी। 2001 में यह 73.19 प्रतिशत और 2011 में यह 87.22 प्रतिशत तक पहुंच गई। 1 अगस्त 2022 को प्रारंभ उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के प्रभावी प्रयासों के फलस्वरूप वित्तीय वर्ष 2023-24 के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार साक्षरता दर 93.7 प्रतिशत रही। वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 95.6 प्रतिशत हो गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में तीन बार फाउंडेशन साक्षरता एवं संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षा (एफ.एल.एन.ए.टी.) आयोजित की गई है। 17 मार्च 2024 को प्रथम एफ.एल.एन.ए.टी. में परीक्षा में सम्मिलित 4,597 अभ्यर्थियों में से 3,581 उत्तीर्ण हुए। 29 दिसम्बर 2024 को परीक्षा में 14,179 अभ्यर्थी सम्मिलित हुए। 23 मार्च 2025 को एफ.एल.एन.ए.टी. परीक्षा में सम्मिलित 5,896 अभ्यर्थियों में से 5,819 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के विजन में साक्षरता बहुत महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि 29 जुलाई 2023 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की तीसरी वर्षगांठ पर दिल्ली में उल्लास-1 लोगो, जन जन साक्षर स्लोगन और मोबाइल ऐप का आधिकारिक शुभारंभ किया गया। मुख्यमंत्री ने उल्लास कार्यक्रम के 5 मुख्य घटकों के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि उल्लास के माध्यम से राज्य के हर ब्लॉक और गांव में 943 सामाजिक चेतना केंद्र स्थापित किए गए हैं। शिक्षण के लिए 2,228 स्वयंसेवी शिक्षक हैं। उनमें से एक बड़ा हिस्सा छात्र, कॉलेज के छात्र और सेवानिवृत्त शिक्षक हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य यहीं रुकना नहीं है, साक्षरता एक नए जीवन का द्वार खोलने की कुंजी है। हम चाहते हैं कि हमारे नव साक्षर नागरिक कुशल हों, आत्मनिर्भर हों। आज एक नई यात्रा की शुरुआत है। यह त्रिपुरा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने राज्य के नागरिकों के कौशल विकास के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग के अलावा अन्य विभागों को शामिल कर इस महान पहल को सफल बनाया जाना चाहिए।

इस अवसर पर शिक्षा विभाग के विशेष सचिव रावेल हेमेंद्र कुमार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की निदेशक (प्रौढ़ शिक्षा) प्रीति मीना ने भी संबोधित किया। माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा तथा समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक एन सी शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। एससीईआरटी के निदेशक लालनुन्नमी दारलोंग भी मौजूद थे। कार्यक्रम में उल्लास नव साक्षरता कार्यक्रम पर एक वृत्तचित्र दिखाया गया। मुख्यमंत्री व अतिथियों ने उल्लास नामक पुस्तिका के कवर का अनावरण किया।

नव साक्षरों ने नाटक व नृत्य भी प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में विभिन्न जिलों के नव साक्षरों में सर्वश्रेष्ठ शिक्षार्थियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में लगाए गए स्टॉलों में उत्तर जिले को प्रथम, द्वितीय व तृतीय तथा साक्षरता में उत्कृष्टता के मामले में सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार दिया गया

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