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राज्य में अब तक 14 लाख लोगों को हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाया जा चुका है: मुख्यमंत्री

ऑनलाइन डेस्क, 15 जून, 2025: राज्य में अब तक 14 लाख लोगों को हेपेटाइटिस-बी का टीका लगाया जा चुका है। उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक हेपेटाइटिस-बी और सी की रैपिड किट आधारित जांच की जा रही है। मुख्यमंत्री प्रो. (डॉ.) माणिक साहा ने आज दो दिवसीय 8वें एच.एफ.टी. लिवरकॉन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। हेपेटाइटिस फाउंडेशन ऑफ त्रिपुरा ने हपनिया अंतरराष्ट्रीय मेला परिसर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। इसमें राज्य और राज्य के बाहर के डॉक्टरों और स्वयंसेवकों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में ‘द वॉयस ऑफ लिवर’ नामक स्मारिका का भी अनावरण किया।

इस बार आयोजित कार्यक्रम का थीम है- ‘सभी के लिए लिवर स्वास्थ्य, समुदाय का सशक्तिकरण’। कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री प्रो. (डॉ.) माणिक साहा ने कहा कि 2020 से अब तक राज्य में हेपेटाइटिस-सी के 1,313 मरीज मुफ्त इलाज पाकर पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। साथ ही हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित 3,476 लोगों को आजीवन मुफ्त इलाज मुहैया कराया गया है। हमारे राज्य में एजीएमसी और जीबीपी अस्पतालों के अलावा सभी जिला अस्पतालों और विशालगढ़ अनुमंडल अस्पतालों में हेपेटाइटिस-बी और सी का मुफ्त इलाज किया जाता है। इस संबंध में मरीजों को आवश्यक दवाएं भी मुफ्त मुहैया कराई जाती हैं। राज्य सरकार और हेपेटाइटिस फाउंडेशन ऑफ त्रिपुरा राज्य को हेपेटाइटिस मुक्त बनाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 में हेपेटाइटिस टीकाकरण के लिए 6,000 से अधिक टीके प्राप्त हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने राय व्यक्त की कि हेपेटाइटिस फाउंडेशन ऑफ त्रिपुरा राज्य में हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता पैदा करने, टीकाकरण और उपचार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है उच्च रक्तचाप, मोटापा, ट्राइग्लिसराइड्स में वृद्धि, पुरानी यकृत रोग के मुख्य कारण हैं। यकृत रोगों को रोकने के लिए यकृत प्रत्यारोपण एक प्रभावी उपाय है। इसलिए, राज्य सरकार ने यकृत प्रत्यारोपण के संबंध में भी आवश्यक कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में काफी सुधार हुआ है। चिकित्सा सेवाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्य में सार्वजनिक और निजी स्तर पर निवेश किया जा रहा है।

राज्य के डॉक्टरों पर लोगों का भरोसा बढ़ने से इलाज के लिए राज्य से बाहर जाने की प्रवृत्ति बहुत कम हो गई है। स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एजीएमसी और जीबीपी अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। 100 और बेड बढ़ाने के लिए काम चल रहा है। कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी जैसी कई और सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत क्रमशः लगभग 239 करोड़ रुपये और 17 करोड़ रुपये के दावों का निपटारा किया गया है उत्तर त्रिपुरा जिला अस्पताल में जल्द ही एक ट्रॉमा केयर सेंटर का शुभारंभ किया जाएगा।

इसके अलावा, धलाई और दक्षिण त्रिपुरा जिलों में दो और नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पीएम दिव्य परियोजना के तहत 515 करोड़ टका की लागत से डेंटल कॉलेज का बुनियादी ढांचा विकास किया जाएगा, एजीएमसी और जीबीपी अस्पतालों में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विभाग स्थापित किए जाएंगे और रेस्ट हाउस में नशामुक्ति केंद्र स्थापित किए जाएंगे। कार्यक्रम में बोलते हुए स्वास्थ्य सचिव किरण गिट्टे ने कहा कि हेपेटाइटिस फाउंडेशन ऑफ त्रिपुरा पिछले 23 वर्षों से जनहित में अथक प्रयास कर रहा है।

जन जागरूकता और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच ही इस बीमारी से दूर रहने का एकमात्र उपाय है। राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली में जबरदस्त सुधार के कारण, निजी संगठन भी राज्य के चिकित्सा क्षेत्र में निवेश करने में रुचि रखते हैं। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. गौरदास चौधरी, स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. तपन मजूमदार, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप भौमिक और सचिव डॉ. अर्कदीप चौधरी ने भी बात की।

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