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शाम होते ही बाघ देवी की पूजा, छात्रों और शिक्षकों ने की तैयारी, बाजार में उमड़ी भीड़

ऑनलाइन डेस्क, 1 फरवरी 2025: मां सरस्वती कहां जाएंगी? विद्या खानी को हाथ-पैर पकड़कर ले जाएंगी। यह भगवती बागदेवी का मुख्य मंत्र है। रात्रि के समय देवी बाघ की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती मुख्यतः विद्यार्थियों के लिए विद्या की देवी हैं। शास्त्रों के अनुसार, सरस्वती पूजा हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आयोजित की जाती है। इस साल कोई अपवाद नहीं है। इस वर्ष भी विद्यार्थियों और शिक्षकों ने माघ मास की शुक्ल पंचमी को देवी की पूजा करने की तैयारी की है।

इस दिन को श्री पंचमी और वसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। छात्र बड़ी श्रद्धा से ज्ञान की देवी की पूजा करते हैं। इस वर्ष पंचमी तिथि दो दिन पड़ रही है। इसलिए रविवार और सोमवार दोनों दिन श्री पंचमी के दिन प्रातःकाल विभिन्न शिक्षण संस्थानों, विद्यार्थियों के घरों और सार्वजनिक पूजा मंडपों में देवी सरस्वती की पूजा की जाएगी। इसके लिए शनिवार सुबह से ही बाजार में भीड़ बढ़ गई। शिक्षक और छात्र मूर्तियां खरीदने के साथ-साथ पूजा सामग्री खरीदने में भी व्यस्त देखे गए।

इसके अलावा, इस दिन व्यापारी भी व्यस्त रहते हैं। वहीं, विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में मूर्तियों को ले जाने के दृश्य भी देखे जा रहे हैं। छात्र बाजार से मूर्तियां लेकर नाचते-गाते जा रहे हैं। इस वर्ष भी सरस्वती पूजा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाएगी। इस दिन हिंदू धर्मावलंबियों में बच्चों को जन्म देने की प्रथा भी प्रचलित है। पूजा के दिन शाम को शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक पूजा मंडपों में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। पूजा के अगले दिन को शीतला षष्ठी के नाम से जाना जाता है।

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