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राज्यव्यापी सहर्ष उत्सव का शुभारंभ, बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने में शिक्षकों को निभानी होगी अहम भूमिका: मुख्यमंत्री

ऑनलाइन डेस्क, 07 मई, 2025: छात्र देश का भविष्य हैं। इसलिए, उनके सामाजिक और मानसिक विकास के लिए उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इस संबंध में सहर्ष कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज रवींद्र शताब्दी भवन में स्कूली शिक्षा विभाग, एससीईआरटी और लाव्ह्य फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राज्यव्यापी सहर्ष उत्सव का उद्घाटन करते हुए यह बात कही।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि सहर्ष शब्द का अर्थ है आनंद। सहर्ष कार्यक्रम का एक उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्रतिस्पर्धी माहौल में आनंददायक शिक्षा प्रदान करना है। यह कार्यक्रम राज्य के शिक्षकों और प्रशिक्षकों द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। यह कार्यक्रम राज्य में सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व की पारंपरिक शिक्षण-अध्ययन प्रणाली में विद्यार्थियों में उदासीनता देखी जा सकती थी। परिणामस्वरूप, स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। लेकिन सहर्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप अब स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन काल में भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत उन्नत थी।

विभिन्न देशों से छात्र नालंदा और तक्षशिला जैसे शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययन करने आते थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिक्षा प्रणाली की इस परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए विभिन्न पहल की हैं। प्रधानमंत्री जी के ईमानदार प्रयासों से देश में 34 वर्षों के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों में छिपी प्रतिभा को विकसित करना जरूरी है। सहर्ष कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों की छिपी प्रतिभा को सामने लाने में शिक्षकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। तभी सहर्ष कार्यक्रम सफल होगा।

कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा विभाग के विशेष सचिव रावेल हेमेन्द्र कुमार ने कहा कि सहर्ष कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए 6,000 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है। यह कार्यक्रम राज्य के लगभग 5,000 स्कूलों में लागू किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य कक्षा एक से कक्षा आठ तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई के अलावा सामाजिक, मानसिक विकास और मूल्यों के निर्माण को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम में बोलते हुए, लाव्ह्य फाउंडेशन की सीईओ ऋचा गुप्ता ने त्रिपुरा की शिक्षा प्रणाली की सराहना की।

इस कार्यक्रम में शिक्षा निदेशक एन.सी. शर्मा और एससीईआरटी के निदेशक एल.डारलोंग भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत में सहर्ष जिंगल बजाया जाता है और कार्यक्रम पर एक सूचनात्मक वीडियो दिखाया जाता है। राज्य में सहर्ष कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए शिक्षा विभाग के विशेष सचिव रावल हेमेन्द्र कुमार, स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक एन.सी. शर्मा, एससीईआरटी के निदेशक एल. दालंग और लाव्ह्य फाउंडेशन के सीईओ को सम्मानित किया गया।

इसके अलावा, एससीईआरटी के ओएसडी पार्थ प्रतिम आचार्य, राज्य के 8 जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों और 23 मास्टर ट्रेनरों को भी राज्य में सहर्ष कार्यक्रम के कार्यान्वयन में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री ने उन्हें प्रमाण पत्र सौंपे। इस कार्यक्रम में 100 आदर्श स्कूलों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किये गये। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सहर्ष पोस्टर, सहर्ष कार्यक्रम रिपोर्ट और 10 दिवसीय बैग-फ्री मॉड्यूल का अनावरण किया।

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