
राज्यव्यापी महिला कल्याण एवं सशक्तिकरण सम्मेलन, महिलाओं के कल्याण एवं सुरक्षा के लिए राज्य सरकार का विशिष्ट दृष्टिकोण: समाज कल्याण मंत्री
ऑनलाइन डेस्क, 11 जनवरी 2025: राज्य सरकार का राज्य में महिलाओं के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए एक विशिष्ट दृष्टिकोण है। सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ उठाकर राज्य की महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपनी विशिष्टता और शक्ति का एहसास कर पा रही हैं। वर्तमान राज्य सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए ‘त्रिपुरा राज्य महिला सशक्तिकरण नीति-2022’ तैयार कर रही है।
समाज कल्याण एवं सामाजिक शिक्षा मंत्री टिंकू राय ने आज प्रज्ञा भवन के हॉल नंबर एक में ‘महिला कल्याण एवं सशक्तिकरण सम्मेलन : स्वैच्छिक संगठनों के सहयोग से प्रभावशाली बदलाव’ विषय पर आयोजित राज्यव्यापी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य सरकार, स्वैच्छिक संगठनों और समाज के विभिन्न स्तरों के प्रतिष्ठित एवं सुविचारित व्यक्तियों को एक साथ लाना है, ताकि महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार हो, महिला अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़े और महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़े। महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी सुरक्षा जाल।
सम्मेलन में बोलते हुए समाज कल्याण मंत्री टिंकू रॉय ने कहा कि इस सम्मेलन में 5 सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल राज्य में महिलाओं की उन्नति और विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं और महिलाओं की सुरक्षा के लिए विभिन्न कानूनी तंत्रों के उचित उपयोग और प्रभावशीलता पर चर्चा करेगा। औरत। इसके अलावा, विशेषज्ञ वक्ता इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि कैसे ‘त्रिपुरा राज्य महिला सशक्तिकरण नीति-2022’ को आगे लागू किया जा सकता है और महिलाओं की स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में महिलाओं के कल्याण और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उठाए गए सभी कदम सार्थक परिणाम दे रहे हैं।
सरकारी नौकरियों में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। राज्य में विभिन्न सरकारी विभागों में 2024 की भर्ती में 3,229 रिक्तियों में से 1,470 पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। सम्मेलन में समाज कल्याण मंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने महिलाओं के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, मुख्यमंत्री मातृपुष्टि उपहार योजना, सुकन्या समृद्धि योजना आदि शामिल हैं। ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राज्य में 13 महिला स्वास्थ्य एवं आरोग्य केन्द्र स्थापित किये गये हैं। महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए राज्य में 9 महिला पुलिस थाने स्थापित किए गए हैं।
इसके अलावा, राज्य के 8 जिलों में 8 ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ शुरू किए गए हैं। केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न सामाजिक भत्ता योजनाओं तथा मुख्यमंत्री सामाजिक सहायता योजना के तहत राज्य में 24,569 महिलाओं को सामाजिक भत्ता प्रदान किया जा रहा है। सम्मेलन में त्रिपुरा बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष जयंती देबबर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन समाज में महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। बाल विवाह को रोकने को सर्वाधिक महत्व दिया जाना चाहिए।
इस संबंध में जन प्रतिनिधियों को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। त्रिपुरा महिला आयोग की अध्यक्ष झरना देबबर्मा ने कहा कि समाज में महिलाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के बावजूद, लड़कियों और महिलाओं को अलग-थलग होकर विभिन्न प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति से बाहर आने के लिए स्वयंसेवी संगठनों को भी आगे आना होगा। समाज कल्याण एवं सामाजिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक बिजन चक्रवर्ती ने सम्मेलन में स्वागत भाषण दिया।
सम्मेलन में बोलने वालों में त्रिपुरा राज्य पुलिस की एआईजी शर्मिष्ठा चक्रवर्ती, एमबीबी कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ. डॉ. दीपान्बिता चक्रवर्ती, समाज कल्याण एवं सामाजिक शिक्षा विभाग की संयुक्त निदेशक। चंद्राणी विश्वास, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की प्रोफेसर अंजना भट्टाचार्य, त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की प्रोफेसर परमिता साहा, कौशल विकास टीम लीडर सुप्रीति चक्रवर्ती और होली क्रॉस कॉलेज के लिंग संवेदीकरण सेल के समन्वयक डॉ. शर्मिष्ठा चक्रवर्ती एवं अन्य। सम्मेलन में विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी चर्चा में भाग लिया।