
पहली बार तीन दिवसीय भव्य कला एवं शिल्प महोत्सव का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि युवाओं को संस्कृति से परिचित कराया जाए तो वे नशे की गिरफ्त से मुक्त हो जाएंगे
ऑनलाइन डेस्क, 5 अप्रैल, 2025: बिपुल कांति साहा राज्य में आधुनिक मूर्तिकला के अग्रदूत हैं। वह इस राज्य के सबसे प्रतिभाशाली बच्चों में से एक हैं। उनकी अथक मेहनत और लगन के परिणामस्वरूप यहां की मूर्तिकला कला को विश्वभर में पहचान मिली है। ऐसे व्यक्तित्व को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे अगली पीढ़ी को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।
मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज लिचुबागान स्थित सरकारी कला एवं शिल्प महाविद्यालय परिसर में आयोजित प्रथम तीन दिवसीय भव्य कला एवं शिल्प महोत्सव का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। यह महोत्सव 7 अप्रैल तक चलेगा। इस महोत्सव में चित्रकला प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम और राज्य के कला जगत की प्रमुख हस्तियों के साथ पैनल चर्चाएं शामिल होंगी।
इस तीन दिवसीय महोत्सव के अवसर पर ललित कला अकादमी, ललित कला तथा राजकीय ललित एवं अनुप्रयुक्त कला महाविद्यालय सहित 10 विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए हैं। यह महोत्सव प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से रात्रि 8 बजे तक चलेगा। गौरतलब है कि यह कार्यक्रम सूचना एवं संस्कृति विभाग की पहल पर आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम के महत्व को समझाते हुए मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने कहा कि राज्य के मेधावी बच्चों ने इस राज्य का नाम प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचाया है, उन्हें नहीं भूलना चाहिए। वर्तमान सरकार इन सभी हस्तियों को वह सम्मान दिलाने का प्रयास कर रही है जिसके वे हकदार हैं। भले ही वे समय के नियमों में खो गए हों, लेकिन उनके कार्य, विचार और विचारधाराएं भविष्य की पीढ़ियों को राज्य की कला और संस्कृति को विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
यद्यपि त्रिपुरा राज्य के राजपरिवार में विभिन्न प्रकार की कलाएं प्रचलित थीं, लेकिन वे जनता की पहुंच से बाहर थीं। बिपुल कांति साहा जैसी प्रख्यात हस्तियों ने इन कलाओं और संस्कृतियों को राज्य की आम जनता के सामने सरल तरीके से प्रस्तुत किया है। प्रौद्योगिकी के अलावा, राज्य की प्रसिद्ध हस्तियों ने जिस तरह से अपनी कला और संस्कृति का सृजन किया है, वह अविश्वसनीय है।
ऐसी विभूतियों को सम्मानित करने में संतोष की अनुभूति होती है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में यह भी बताया कि कुछ दिन पहले ही बाधरघाट में नवनिर्मित खेल अधोसंरचना का लोकार्पण राज्य के तीन प्रसिद्ध खिलाड़ियों के नाम पर किया गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी राष्ट्र की संस्कृति और परम्पराओं में जीवनयापन के संसाधन छिपे होते हैं।
अपनी प्रतिभा के प्रति जागरूक होने से ही राज्य की संस्कृति और विरासत की उत्कृष्टता बढ़ेगी। संस्कृति के करीब रहने से ही समाज के युवा नशे के चंगुल से मुक्त रह सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूचना एवं संस्कृति विभाग द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 122 विषयों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। 101 सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय लाभ मिला है।
इन आयोजनों में 10,000 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया है। लगभग 330 कलाकारों को विदेश में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य भर में आदिवासियों के लिए संगीत वाद्ययंत्र कार्यशालाओं के लिए 3 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इसके अलावा, सूचना एवं संस्कृति विभाग जात्रा, कठपुतली नृत्य और कीर्तन जैसी लुप्त हो रही लोक संस्कृतियों को नए रूप में आम जनता के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है। कार्यक्रम में बोलते हुए सूचना एवं संस्कृति विभाग के विशेष सचिव देबप्रिय वर्धन ने कहा कि युवा पीढ़ी को कला एवं संस्कृति के प्रति आकर्षित करने में इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हैं।
समारोह में अपने स्वागत भाषण में सूचना एवं संस्कृति विभाग के निदेशक बिम्बिसार भट्टाचार्य ने सूचना एवं संस्कृति विभाग की वर्ष भर की गतिविधियों की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में राज्य आधारित सांस्कृतिक सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष सुब्रत चक्रवर्ती, राजकीय ललित कला एवं शिल्प महाविद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य अभिजीत भट्टाचार्य तथा प्रसिद्ध मूर्तिकार बिपुल कांति साहा की पत्नी दीपिका साहा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।