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नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्रता आंदोलन के दिग्गज नेताओं में से एक हैं, नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवाओं के लिए प्रेरणा हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सच्चा सम्मान दिया है: मुख्यमंत्री

ऑनलाइन डेस्क, 23 जनवरी, 2025: अगरतला नेताजी सुभाष विद्यानिकेतन की पहल पर गुरुवार को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 129वीं जयंती पूरे सम्मान के साथ मनाई गई। समारोह शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसके बाद नेताजी सुभाष विद्यानायकन के सामने से रंगारंग जुलूस शुरू हुआ। नेताजी सुभाष विद्यानिकेतन द्वारा आयोजित रंगारंग जुलूस में स्कूल के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न परिधानों में भाग लिया।

इस सुसज्जित जुलूस के माध्यम से विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला जाता है। उल्लेखनीय विषयों में शामिल हैं, प्रगति के लिए भारत, जाति के नाम पर सभी जातियां खेल रही हैं जुआ का खेल, साहित्य और फिल्म में गुपी बाघा और भूतेर बोर आज भी मौजूद हैं, बंगाली संस्कृति की गहराई में बहुआयामी रूप आज भी बोलता है, हरियाली , ब्रह्मांड की लय, वीर गोपाल पाठ, जागो महिलाओं “घूमो, अब विरोध करो, नवान्न के आनंद से मदमस्त अहमिया महिलाएं, आदि।” जुलूस शुरू होने से पहले मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा, “इस विशेष दिन पर सभी को बधाई।

देश को आजाद कराने वाले पहले व्यक्ति जिनका नाम लिया जाना चाहिए, वे हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस। वह एक महान नेता थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। ऐसे उज्ज्वल चरित्र बहुत कम हैं जो देश को आजाद करा सकें। और जिस तरह से उन्होंने काम किया है, उससे पता चलता है कि उन्होंने देशवासियों के दिलों में जगह बना ली है। अंग्रेजों ने उन्हें कई बार कैद किया। लेकिन उसे कहीं भी रोका नहीं जा सका। उनकी वीरगाथा से हर कोई परिचित है। नई पीढ़ी को और अधिक जागरूक बनाने की जरूरत है। इसलिए इस दिन हम अपने नेता के बारे में जितना अधिक जानेंगे, देश उतना ही आगे बढ़ेगा।

मुख्यमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी जिक्र किया और कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने का प्रयास किया था। इसके लिए उन्होंने जापान में आज़ाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में पहली सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में जापान में बनी थी। अंततः लाहौर में कांग्रेस के ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस को पूर्ण स्वशासन का सिद्धांत अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन दुर्भाग्य से, हर कोई जानता है कि कुछ नेताओं और कुछ पार्टियों के लोगों ने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने की कोशिश करते समय क्या कहा था।

उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को और अधिक समझने की आवश्यकता है। इस दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी सुभाष विद्यानिकेतन की स्थापना 1948 में अगरतला में की गई थी। इस स्कूल की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शरणार्थियों को शिक्षा प्रदान करना था। स्कूल का मुख्य लक्ष्य छात्रों को वास्तव में अच्छे नागरिक के रूप में विकसित करना था। इसके अलावा, इस स्कूल में छात्रों के चरित्र निर्माण पर बहुत जोर दिया जाता था। आज भी यह विद्यालय बड़ी प्रतिष्ठा के साथ चलाया जा रहा है।

विद्यार्थियों का जीवन व्यवस्थित ढंग से संरचित किया जा रहा है। इस स्कूल के कई छात्र अब देश और विदेश में रह रहे हैं। इस विद्यालय के विद्यार्थियों ने शिक्षा, खेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर ख्याति प्राप्त की है। स्कूल के अधिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उचित सम्मान देने के लिए 1951 से हर साल एक सुसज्जित जुलूस का आयोजन करते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद देश ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के प्रति उचित सम्मान दिखाने का प्रयास किया है। अंडमान एवं निकोबार तथा पोर्ट ब्लेयर में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताजी के सम्मान में जो झंडा फहराया गया था, वह पहली बार फहराया गया। प्रधानमंत्री ने स्वराज द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप घोषित किया है।

प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन को पराक्रम दिवस घोषित किया है। प्रधानमंत्री ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के साथ जोड़ने का भी आह्वान किया। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया गया है। 23 जनवरी को मनाना एक परंपरा है। अगरतला की पूरी आबादी इस दिन का इंतजार करती है। 23 जनवरी के अवसर पर नेताजी सुभाष विद्यानिकेतन की शोभायात्रा देखने के लिए लोग सुबह से ही सड़क के किनारे इंतजार कर रहे हैं। यह नेताजी सुभाष विद्यानायकन के लिए गर्व और खुशी की बात कही जा सकती है। इस दिन जुलूस पोस्ट ऑफिस चौमुहोनी, पैराडाइज चौमुहोनी, आई.जी.एम चौमुहोनी, ओरिएंट चौमुहोनी, कामां चौमुहोनी, नेताजी कॉर्नर, नेताजी चौमुहोनी से होते हुए स्कूल परिसर में समाप्त हुआ।

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