एनएचआरसी, भारत और संकला फाउंडेशन ने नीति आयोग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से “भारत में वृद्धावस्था: कार्यान्वयन योग्य समाधान” विषय पर एकदिवसीय सेमिनार का आयोजन किया
ऑनलाइन डेस्क, 19 दिसंबर 2024: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने संकला फाउंडेशन के साथ मिलकर नई दिल्ली में नीति आयोग और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार की सक्रिय भागीदारी के साथ “भारत में वृद्धावस्था: कार्रवाई योग्य समाधान – वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं से अंतर्दृष्टि प्राप्त करना” विषय पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का समापन बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल और पोषण संबंधी जरूरतों और उनकी आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक समावेशिता और जीवन की गुणवत्ता के बारे में कई महत्वपूर्ण सुझावों के साथ हुआ।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एनएचआरसी, भारत के महासचिव श्री भरत लाल ने वृद्धाश्रमों की उभरती भूमिका और उनके कामकाज में बदलाव और सुधार की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयोग नागरिक समाज संगठनों, विशेष प्रतिवेदकों और निगरानीकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि बुजुर्गों के अधिकारों की वकालत की जा सके। उन्होंने कहा कि देश में बुजुर्ग आबादी के समग्र कल्याण के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं सहित एक क्रिया-उन्मुख मॉडल पर काम करने का समय आ गया है। उन्होंने सभी संगठनों के बीच तालमेल का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि बुजुर्ग व्यक्तियों को समाज में सार्थक रूप से जुड़ने और योगदान करने के अवसर प्रदान करने के लिए एक मंच विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री मोनाली पी. धकाटे ने भारत में वृद्धों और वृद्ध होती आबादी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007, अटल वयो अभ्युदय योजना के प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के संयुक्त सचिव श्री देवेन्द्र कुमार निम ने भारत में बुजुर्ग नागरिकों के समक्ष उपस्थित कठिन समस्याओं पर प्रकाश डाला तथा बुजुर्गों की देखभाल के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा की जा रही पहलों के बारे में बताया।
संकला फाउंडेशन की विजिटिंग फेलो डॉ. आभा जायसवाल ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत बढ़ती उम्रदराज आबादी की चिंताओं का सामना कर रहा है। इसलिए उनके लिए एक व्यापक देखभाल तंत्र की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन जरूरतों पर ध्यान देने से आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण दोनों के लिए महत्वपूर्ण अवसर मिल सकते हैं।
बुजुर्गों की स्वास्थ्य और पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर पहले विषयगत सत्र की अध्यक्षता करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने वृद्ध आबादी के कल्याण से संबंधित वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए इस संबंध में एनएचआरसी, भारत की विभिन्न पहलों की सराहना की। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव श्री अमित यादव ने आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक समावेशिता और जीवन की गुणवत्ता पर दूसरे विषयगत सत्र की अध्यक्षता की। इस बैठक में कई डोमेन विशेषज्ञ और प्रख्यात हस्ती, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, स्टार्टअप और चिकित्सा बिरादरी के प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रत्येक सत्र में वक्ताओं के भाषण के बाद, डब्ल्यूएचओ, यूएनएफपीए और टाटा ट्रस्ट जैसे संगठनों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिभागियों के सवालों पर चर्चा करने के लिए एक खुले सत्र का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में उभरे कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार थे-
i.) बुजुर्गों के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य और पोषण पैकेज विकसित करना;
ii.) बुजुर्ग महिलाओं की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष सेवाएं सृजित करना;
iii.) घर और परिवार-आधारित देखभाल पहल को बढ़ावा देना;
iv.) बुजुर्गों की देखभाल के लिए मौजूदा सरकारी योजनाओं और मॉडलों को मजबूत करना;
v.) बुजुर्गों की देखभाल को किफायती और टिकाऊ बनाने के लिए निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी की संभावनाएं तलाशना;
vi.) बुजुर्गों के लिए अधिक स्वास्थ्य बीमा कवरेज को प्रोत्साहित करना;
vii.) बुजुर्गों की देखभाल के संबंध में भारत के दृष्टिकोण को सुदृढ़ बनाने के लिए दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखना;
viii.) स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक व्यापक और एकीकृत पारिवारिक चिकित्सा क्षेत्र विकसित करना;
ix.) समाज में बुजुर्ग आबादी की गरिमा, अच्छे स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के साथ भागीदारी सुनिश्चित करना;
x.) लक्षित हस्तक्षेप के लिए बुजुर्ग आबादी पर एक अलग डाटाबेस रखना;
xi.) बुजुर्गों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए नगरपालिकाओं सहित स्थानीय निकायों के साथ-साथ सार्वजनिक और निजी दोनों हितधारकों की भागीदारी की गुंजाइश तलाशना;
xii.) यह सुनिश्चित करना कि बुजुर्गों की आवाज को उनकी भलाई के लिए उचित ध्यान के साथ सुना जाए।
प्रतिभागियों में शामिल थे: डॉ. मनश्वी कुमार, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय; श्री सीके मिश्रा, पूर्व सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय; डॉ. के. मदन गोपाल, सलाहकार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र; डॉ. संजय वाधवा, प्रोफेसर और प्रमुख, भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास विभाग, एम्स, नई दिल्ली; प्रो. राम बारू, प्रोफेसर, जेएनयू; प्रोफेसर (डॉ.) मनोहर अगनानी, अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल; डॉ. तनुजा नेसारी, पूर्व निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान; श्री मनोहर लाल बहारानी, अखिल भारतीय वरिष्ठ नागरिक मंच; श्री पुनीत कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय विभाग, केरल; सुश्री उमा देवी, संयुक्त निदेशक, सामाजिक न्याय विभाग, तमिलनाडु; सुश्री कजरी विश्वास, वरिष्ठ निदेशक, विदेश मंत्रालय; सुश्री अनुपमा दत्ता, हेल्पेज इंडिया; सुश्री पवित्रा रेड्डी, सीओओ, व्याह विकास; श्री पीयूष कुमार, संस्थापक, ख्याल ऐप; श्री आशीष गुप्ता, सह-संस्थापक, समर्थ एल्डरली केयर, डॉ. जीपी भगत, संस्थापक, SHEOWS, श्री के. श्रीनाथ रेड्डी, मानद प्रतिष्ठित प्रोफेसर, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, सुश्री अमृता कंसल, पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट, हेल्दी एजिंग वर्टिकल, डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र और डॉ. मंजरी चतुर्वेदी, सीईओ, हेल्दी एजिंग इंडिया आदि।
यह बैठक 18 अक्टूबर 2024 को आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन की फॉलोअप थी, जिसमें बुजुर्गों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई थी। यह चर्चा उन चुनौतियों का समाधान खोजने पर केंद्रित थी। एनएचआरसी, भारत विभिन्न हितधारकों के साथ काम करता है जिसमें केंद्र और राज्य दोनों की विभिन्न सरकारें और उनके अर्ध-सरकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन, मानवाधिकार रक्षक और शोधकर्ता शामिल हैं।
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