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मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी का संदेश

ऑनलाइन डेस्क, 09 दिसंबर, 2024: “मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। 1950 से हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाने वाला यह महत्वपूर्ण दिन 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाने की याद दिलाता है। भारत के लिए, यह दिन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि भारतीय प्रतिनिधियों ने इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया था, जो सम्मान, न्याय और समानता के लिए मानवता की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मानवाधिकार दिवस एक शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि प्रत्येक व्यक्ति अविभाज्य अधिकारों के साथ पैदा होता है। इस वर्ष का विषय – “हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी” – इस विश्वास को पुष्ट करता है कि मानवाधिकार केवल एक आकांक्षा नहीं है, बल्कि व्यक्तियों और समुदायों को बेहतर भविष्य बनाने के लिए सशक्त बनाने का एक व्यावहारिक साधन है। मानवाधिकारों की परिवर्तनकारी क्षमता को अपनाकर, हम एक ऐसा विश्व बना सकते हैं जो अधिक शांतिपूर्ण, न्यायसंगत और टिकाऊ हो। अब वैश्विक कार्रवाई को फिर से सक्रिय करने और मानव गरिमा में निहित भविष्य के लिए जुटने का समय है।

आज हम जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण क्षरण, आतंकवाद और राष्ट्रों की सीमाओं के भीतर तथा बाहर संघर्ष जैसी जटिल चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जो व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन को बढ़ावा दे रहे हैं। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए सामूहिक वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रगति और विकास का लाभ सभी को समान रूप से मिले। भारत ने बहुत पहले ही दिखा दिया है कि वसुधैव कुटुम्बकम’, यानी ‘पूरा विश्व एक परिवार है’ के विश्वास का पालन करके इस विचार को प्राप्त किया जा सकता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत मानवाधिकार चर्चा को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो भारत की सहानुभूति, करुणा और मानवीय गरिमा के प्रति सम्मान के समृद्ध सभ्यतागत लोकाचार पर आधारित है। आयोग भारत और दुनिया भर में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण में अन्य राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है। अपनी क्षमता निर्माण पहलों के माध्यम से, एनएचआरसी पिछले तीन दशकों में विभिन्न मानवाधिकार चिंताओं को संबोधित करने में अपने व्यापक अनुभव का लाभ उठाता है।

मानवाधिकार दिवस के इस पवित्र अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, भारत की ओर से प्रत्येक व्यक्ति से आह्वान करती हूं कि वह सर्वे भवन्तु सुखिनः’ अर्थात् ‘सब सुखी हों’ के सभ्यतागत लोकाचार के अनुरूप देश में मानवाधिकार संस्कृति को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने के लिए खड़े हों।

भारत के संविधान और मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा दोनों के मूल्यों और भावना को प्रतिबिंबित करने वाले मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित आयोग प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए सभी को प्रोत्साहित करने और सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास जारी रखने की अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

PIB

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